सनाढ्य ब्राह्मण वाक्य
उच्चारण: [ senaadhey beraahemn ]
उदाहरण वाक्य
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- इनका जन्म सनाढ्य ब्राह्मण कुल में हुआ था।
- इनका जन्म सनाढ्य ब्राह्मण कुल में हुआ था।
- इनका जन्म सनाढ्य ब्राह्मण कुल में हुआ था।
- पंडित दीनानानाथ शर्मा, एक कर्मकांडी सनाढ्य ब्राह्मण हैं.
- सनाढ्य ब्राह्मण समाज द्वारा दुबे कालोनी स्थित नवनिर्मित धर्मशाला में होली मिलन समारोह का आयोजन किया गया।
- बाड़ी त्न सनाढ्य ब्राह्मण सेवा समिति की कार्यकारिणी की बैठक परशुराम धर्मशाला में अध्यक्ष जगदीश जगरिया की...
- ये अंतरी के रहनेवाले सनाढ्य ब्राह्मण थे जो विरक्त की भाँति आकर महावन में रहने लगे थे.
- गोविन्दस्वामी अंतरी के रहने वाले सनाढ्य ब्राह्मण थे जो विरक्त की भाँति आकर महावन में रहने लगे थे।
- उन्होंने सिख धर्म अपना कर अपना नाम भोला सिंह रख लिया था, वैसे उनके पूर्वज सनाढ्य ब्राह्मण थे।
- गौड़ सनाढ्य ब्राह्मण सभा द्वारा परशुराम धर्मशाला में दीपावली स्नेह मिलन व अन्नकूट महोत्सव का आयोजन किया गया।
- इस अवसर पर सनाढ्य ब्राह्मण समाज के पदाधिकारियों ने सामूहिक रूप से भगवान बांके बिहारी की पूजा-अर्चना कर महाआरती उतारी।
- उसी शाखा में ०१ जनवरी १९१९ को सनाढ्य ब्राह्मण परिवार में अशोक नगर, गुना (म.प्र.) में सरल जी का जन्म हुआ।
- उसी शाखा में ०१ जनवरी १९१९ को सनाढ्य ब्राह्मण परिवार में अशोक नगर, गुना (म.प्र.) में सरल जी का जन्म हुआ।
- कोल (अलीगढ़ का प्राचीन नाम) के समीपस्थ एक गाँव में, जो अब हरिदासपुर कहलाता है, एक सनाढ्य ब्राह्मण ब्रह्मधीर के जानधीर नामक एक सुपुत्र था।
- “ ” यह कैसे... नहीं यार... यह कैसे हो सकता है? ये सनाढ्य ब्राह्मण और मैं सरयूपारीण गोस्वामी, यह नहीं हो सकता।
- कोल (अलीगढ़ का प्राचीन नाम) के समीपस्थ एक गाँव में, जो अब हरिदासपुर कहलाता है, एक सनाढ्य ब्राह्मण ब्रह्मधीर के जानधीर नामक एक सुपुत्र था।
- उसी शाखा में ० १ जनवरी १ ९ १ ९ को सनाढ्य ब्राह्मण परिवार में अशोक नगर, गुना (म.प ् र.) में सरल जी का जन्म हुआ।
- इटावा. कस्बे में चल रहे अन्नकूट महोत्सव के दौरान सनाढ्य ब्राह्मण समाज की ओर से बांके बिहारी बड़े मंदिर पर भगवान का मनोरम शृंगार कर छप्पन भोग की झांकी सजाकर अन्नकुट का भोग लगाया।
- इस मौके विप्र फाउंडेशन के अध्यक्ष जितेंद्र गौड़, गौड सनाढ्य ब्राह्मण समाज अध्यक्ष महेंद्र शर्मा, बाबूलाल रावल, मुरारीलाल शर्मा, भगवानसहाय, बृजमोहन, ओमप्रकाश शर्मा, सत्यनारायण शर्मा, कृष्ण कुमार, अशोक कुमार, रामअवतार, सुरेश शर्मा, राजनारायण पांडे समेत काफी संख्या में समाज के लोग मौजूद थे।
- इनमे सूरदास प्रमुख थे, अपनी निश्चल भक्ति के काराण ये लोग भगवान कृष्ण के सखा भी माने जाते थे, परम भागवत होने के कारण यह लोग भगवदीय भी कहे जाते थे,यह सब विभिन्न वर्णों के थे,परमानन्द कान्यकुब्ज ब्राह्मण थे,कृष्णदास शूद्रवर्ण के थे,कुम्भनदास राजपूत थे,लेकिन खेती का काम करते थे,सूरदासजी किसी के मत से सारस्वत ब्राह्मण थे और किसी किसी के मत से ब्रह्मभट्ट थे,गोविन्ददास सनाढ्य ब्राह्मण थे,और छीत स्वामी माथुर चौबे थे,नन्ददासजी सनाढ्य ब्राह्मण थे,अष्टछाप के भक्तों में बहुत ही उदारता पायी जाती है,“चौरासी वैष्णव की वार्ता”,तथा “दो सौ वैष्ण्वन की वार्ता”,में इनका जीवनवृत विस्तार से पाया जाता है.
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